Thursday, March 29, 2007

भारत मेरा देश....




भारत मेरा देश....
कभी नहीं देखा पर हर वक्त किया महसुस
हर पल एक खिचांव किया हैं दिल ने महसुस
कि हैं तेरा भी अपना अस्तित्व
कि तेरा भी हैं अपना ही एक रुप
परदेस में भी आई सबसे ज्यादा याद तेरी
मात पिता भाई बहन सखी हो या हो मेरी सहेली
सबसे जुदा हैं वो देश हैं मेरा
सबसे निराला हैँ हिदुंस्तान हमारा
तरसते हैं उसकी हवाओं की ठंडक को हम
तरसते हैं उसकी सौंधी मिट्टी को हम
तरसते हैं वहाँ की रोटी की खुशबू को हम
भुल गये थे तेरी गरिमा को हम
आ पहुँचे हैं कितनी दुर हम
पर अब लगता हैं कितने थे गलत हम
आ रही है इक ही आवाज कि अब नहीं रह सकते
अपने देश को छोड के किसी पराये देश मेँ
इतनी सजा काफी हैं अपने बच्चों के लिये
बुला लो तो आ जाये दिल अपना लिये हूये

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